अमेरिका-रूस व्यापार में 20% की वृद्धि: अलास्का शिखर सम्मेलन में पुतिन ने की व्यापक सहयोग की अपील
15 अगस्त, 2025 को अलास्का के एंकरेज में आयोजित एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुलासा किया कि डोनाल्ड ट्रम्प के 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दोबारा सत्ता में आने के बाद अमेरिका-रूस द्विपक्षीय व्यापार में 20% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जॉइंट बेस एल्मेंडॉर्फ-रिचर्डसन में आयोजित इस बैठक ने दोनों देशों के बीच संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत की, जिसमें पुतिन ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में व्यापक सहयोग की संभावनाओं पर जोर दिया। यह लेख इस शिखर सम्मेलन के महत्व, इसके परिणामों और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालता है।
अमेरिका-रूस व्यापार में नई गति
पुतिन ने ट्रम्प के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “जब नई प्रशासन सत्ता में आई, तब से द्विपक्षीय व्यापार में 20% की वृद्धि हुई है। यह अभी प्रतीकात्मक है, लेकिन यह एक सकारात्मक संकेत है।” यह वृद्धि ट्रम्प प्रशासन की नीतियों और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की साझा इच्छा को दर्शाती है। पुतिन ने अलास्का की भौगोलिक स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह रूस के सुदूर पूर्व और अमेरिका के पश्चिमी तट के बीच व्यापार और आर्कटिक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
उन्होंने कहा, “अमेरिका और रूस के बीच निवेश और व्यापारिक सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।” डिजिटल नवाचार, उच्च प्रौद्योगिकी, और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे क्षेत्रों को पुतिन ने भविष्य के सहयोग के लिए महत्वपूर्ण बताया। यह शिखर सम्मेलन, जो शीत युद्ध के समय के एक महत्वपूर्ण स्थल पर हुआ, ने पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु के रूप में अलास्का की प्रतीकात्मक भूमिका को रेखांकित किया।
शिखर सम्मेलन का रणनीतिक महत्व
यह शिखर सम्मेलन फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद अमेरिका और रूस के नेताओं के बीच पहली प्रत्यक्ष मुलाकात थी। हालांकि यूक्रेन युद्ध पर कोई ठोस युद्धविराम समझौता नहीं हुआ, लेकिन दोनों नेताओं ने भविष्य की वार्ताओं के प्रति आशावाद व्यक्त किया। पुतिन ने मॉस्को में एक और मुलाकात का सुझाव दिया, जबकि ट्रम्प ने इस बैठक को “अत्यंत उत्पादक” करार देते हुए कहा कि कई मुद्दों पर प्रगति हुई है, लेकिन “कोई समझौता तब तक नहीं है जब तक यह अंतिम रूप नहीं ले लेता।”
इस बैठक में वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक गतिशीलता जैसे विषय भी चर्चा में रहे। हाल ही में, अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% का शुल्क लगाया, जिससे नई दिल्ली के साथ तनाव पैदा हुआ। पुतिन का यह बयान कि अमेरिका के साथ व्यापार में वृद्धि हुई है, वैश्विक आर्थिक संरेखण में बदलाव के संकेत देता है, जहां भारत और चीन जैसे देश वाशिंगटन और मॉस्को दोनों के साथ जटिल संबंधों को संतुलित कर रहे हैं।

चुनौतियां और अवसर
शिखर सम्मेलन को यूरोपीय सहयोगियों और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से आलोचना का सामना करना पड़ा, जिन्होंने जोर देकर कहा कि शांति वार्ताओं में कीव को शामिल करना अनिवार्य है। ज़ेलेंस्की ने चेतावनी दी कि रूस को रियायतें देना संघर्ष को समाप्त नहीं करेगा, और यूरोपीय नेताओं ने भी इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन की संप्रभुता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
आर्थिक मोर्चे पर, 20% व्यापार वृद्धि अमेरिका-रूस संबंधों में संभावित सुधार का संकेत देती है, लेकिन चुनौतियां बरकरार हैं। ट्रम्प ने पहले रूस पर कठोर प्रतिबंधों की धमकी दी थी यदि मॉस्को यूक्रेन में युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होता। शिखर सम्मेलन के बाद तत्काल प्रतिबंधों की अनुपस्थिति यह दर्शाती है कि दोनों पक्ष बातचीत को प्राथमिकता दे रहे हैं, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि दीर्घकालिक सहयोग के लिए भू-राजनीतिक तनावों को सावधानीपूर्वक संभालना होगा।
भविष्य की राह: सहयोग की दृष्टि
पुतिन ने व्यापार से परे आर्कटिक अन्वेषण और डिजिटल नवाचार जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में सहयोग की अपील की। उन्होंने अंतरिक्ष में संयुक्त उद्यमों की संभावना पर भी प्रकाश डाला, जो अपोलो-सोयुज़ मिशनों के दौरान अमेरिका और रूस के ऐतिहासिक सहयोग की याद दिलाता है। यदि दोनों देश अपने हितों को संरेखित कर पाते हैं, तो ये पहल एक नए सहयोग के युग की शुरुआत कर सकती हैं।
अमेरिका के लिए, यह शिखर सम्मेलन ट्रम्प की डीलमेकिंग नीति को दर्शाता है। ट्रम्प ने यूक्रेन, रूस और नाटो सहयोगियों को शामिल करते हुए एक शांति समझौते की उम्मीद जताई। “हमने कई बिंदुओं पर सहमति जताई है,” उन्होंने कहा, साथ ही यह भी संकेत दिया कि ज़ेलेंस्की के साथ त्रिपक्षीय वार्ता जल्द हो सकती है। रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने सुझाव दिया कि यदि त्रिपक्षीय बैठक होती है, तो क्रिसमस से पहले यूक्रेन संघर्ष का समाधान हो सकता है।

निष्कर्ष: आर्थिक और कूटनीतिक प्रगति की ओर एक कदम
अलास्का शिखर सम्मेलन ने अमेरिका-रूस संबंधों में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित किया, जिसमें 20% व्यापार वृद्धि आर्थिक जुड़ाव का एक ठोस संकेत है। हालांकि यूक्रेन युद्ध और वैश्विक व्यापार तनाव जैसे मुद्दे चुनौतियां पेश करते हैं, यह शिखर सम्मेलन सहयोग के नए रास्ते तलाशने की इच्छा को दर्शाता है। जैसे-जैसे दोनों नेता भविष्य की बैठकों की योजना बना रहे हैं, दुनिया यह देखने के लिए उत्सुक है कि क्या यह संवाद स्थायी आर्थिक और कूटनीतिक प्रगति में बदल सकता है।