दिवाली से पहले लागू होगा नया GST फ्रेमवर्क: जानिए क्या बदलेगा और कैसे मिलेगी आम जनता को राहत
नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025: इस साल दिवाली न केवल रोशनी और खुशियों का त्योहार होगा, बल्कि यह भारतीय करदाताओं और उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा तोहफा भी लाएगा। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अक्टूबर 2025 तक एक नया जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) फ्रेमवर्क लागू किया जाएगा, जो टैक्स ढांचे को सरल बनाएगा और आम लोगों, किसानों, मध्यम वर्ग, और छोटे-मध्यम उद्यमों (MSMEs) को राहत प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से इस ‘नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म’ की घोषणा की, जिसे उन्होंने ‘डबल दिवाली’ का तोहफा करार दिया। आइए, इस नए फ्रेमवर्क के प्रमुख बदलावों, इसके लाभों, और आर्थिक प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
नया GST फ्रेमवर्क: दो स्लैब की सरल व्यवस्था
वर्तमान जीएसटी संरचना में चार मुख्य टैक्स स्लैब हैं: 5%, 12%, 18%, और 28%, साथ ही कुछ विशेष दरें जैसे सोने पर 3% और तंबाकू जैसे उत्पादों पर अतिरिक्त उपकर। हालांकि, नए फ्रेमवर्क में सरकार 12% और 28% स्लैब को हटाकर केवल दो मुख्य स्लैब – 5% और 18% – लागू करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, कुछ चुनिंदा लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं (जैसे तंबाकू, पान मसाला) पर 40% की विशेष दर लागू होगी। इस बदलाव का उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी, और उपभोक्ता-अनुकूल बनाना है।
क्या-क्या होगा सस्ता?
नए GST ढांचे के तहत कई रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होने की उम्मीद है। इनमें शामिल हैं:
- सीमेंट: निर्माण लागत कम होगी, जिससे मकान और बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स सस्ते हो सकते हैं।
- छोटी कारें: ऑटोमोबाइल सेक्टर में छोटे मॉडल्स की कीमतें घटेंगी, जिससे मध्यम वर्ग को फायदा होगा।
- FMCG उत्पाद: खाद्य तेल, साबुन, पैक्ड फूड, और अन्य तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता सामान सस्ते होंगे।
- एयर कंडीशनर: उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं पर टैक्स में कमी से ये भी किफायती होंगे।
- कृषि उपकरण: किसानों के लिए औजारों और मशीनरी पर कम टैक्स से उत्पादकता बढ़ेगी।
- हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस: 18% से घटकर 5% टैक्स दर, जिससे बीमा योजनाएं सस्ती होंगी।
GST सुधारों के तीन मुख्य आधार
वित्त मंत्रालय ने बताया कि नए GST फ्रेमवर्क के तीन प्रमुख लक्ष्य हैं:
- संरचनात्मक सुधार: टैक्स ढांचे को और अधिक तर्कसंगत बनाना, इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (जहां कच्चे माल पर ज्यादा और तैयार उत्पाद पर कम टैक्स लगता है) को ठीक करना, और उत्पाद वर्गीकरण से जुड़े विवादों को कम करना।
- टैक्स दरों का सरलीकरण: रोजमर्रा की जरूरतों की वस्तुओं पर टैक्स को 5% तक लाना और अधिकांश वस्तुओं को 18% स्लैब में शामिल करना।
- जीवन को आसान बनाना: जीएसटी रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग, और रिफंड प्रक्रिया को तकनीक आधारित और तेज करना। प्री-फिल्ड रिटर्न और ऑटोमेटेड रिफंड सिस्टम से कारोबारियों को सहूलियत मिलेगी।

छोटे व्यवसायों और MSMEs को विशेष लाभ
नया GST ढांचा छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को तीन दिनों के भीतर पूरा करने और प्री-फिल्ड रिटर्न के जरिए गलतियों को कम करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, निर्यातकों और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर से प्रभावित व्यवसायों के लिए रिफंड प्रक्रिया को तेज और ऑटोमेटेड किया जाएगा। इससे छोटे व्यवसायों का वर्किंग कैपिटल फ्री होगा, जिससे वे अपनी वृद्धि पर ध्यान दे सकेंगे।
कंपनसेशन सेस का अंत
नए फ्रेमवर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है ‘कंपनसेशन सेस’ को दिसंबर 2025 तक पूरी तरह खत्म करना। यह सेस राज्यों को GST लागू होने के बाद राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए लगाया गया था। सूत्रों के अनुसार, नवंबर तक सेस से पर्याप्त वसूली हो जाएगी, जिससे राज्यों के कर्ज का भुगतान संभव होगा। इसका मतलब है कि उपभोक्ताओं को कई वस्तुओं और सेवाओं पर अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ेगा, जिससे उनकी जेब पर बोझ कम होगा।
आर्थिक प्रभाव और विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि GST दरों में कमी से शुरू में सरकार को 40,000 से 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है। हालांकि, कम टैक्स दरों से उपभोक्ता खपत बढ़ेगी, जिससे कर आधार व्यापक होगा और लंबे समय में राजस्व में वृद्धि होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि जीएसटी की औसत दर 15.8% से घटकर 11.4% हो गई है, जो टैक्स कटौती की गुंजाइश को दर्शाता है।
2024-25 में GST संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 9.4% की वृद्धि दर्शाता है। यह अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण और बेहतर अनुपालन का संकेत है। विशेषज्ञों का कहना है कि नया फ्रेमवर्क इस वृद्धि को और बढ़ाएगा, क्योंकि सरल टैक्स ढांचा अनुपालन को प्रोत्साहित करेगा।
GST काउंसिल की भूमिका और अगले कदम
GST सुधारों पर अंतिम मुहर सितंबर 2025 में होने वाली GST काउंसिल की 56वीं बैठक में लगेगी, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। मंत्रियों का समूह (GoM) 20-21 अगस्त को बैठक कर इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देगा। केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनाने के लिए गहन चर्चा की जाएगी, क्योंकि पिछले ढाई साल से सुधारों में देरी राज्यों के मतभेदों के कारण हुई थी। अब केंद्र को भरोसा है कि राज्यों का समर्थन मिलेगा, और यह सुधार GST लागू होने के बाद का सबसे बड़ा बदलाव होगा।

पेट्रोल और डीजल अभी भी जीएसटी से बाहर
हालांकि नए फ्रेमवर्क से कई वस्तुएं सस्ती होंगी, लेकिन पेट्रोल, डीजल, और शराब जैसे उत्पाद अभी भी GST के दायरे से बाहर रहेंगे। सरकार का कहना है कि इन पर फैसला राज्यों के साथ और विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा।
निष्कर्ष: ‘डबल दिवाली’ का तोहफा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सुधार को ‘डबल दिवाली’ का तोहफा करार दिया है, और यह वाकई में आम जनता, कारोबारियों, और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम है। सस्ती वस्तुएं, सरल टैक्स प्रणाली, और तेज प्रक्रियाएं न केवल उपभोक्ताओं को राहत देंगी, बल्कि भारत को ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में और ऊपर ले जाएंगी। इस दिवाली, नया जीएसटी फ्रेमवर्क निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था में नई रोशनी लाएगा।