बिहार SIR वोटर लिस्ट विवाद: EC ने पारदर्शिता के लिए जारी की हटाए गए मतदाताओं की सूची
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) के तहत मतदाता सूची से 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) ने इन हटाए गए मतदाताओं की सूची और उनके नाम हटाने के कारणों को सार्वजनिक कर दिया है। यह कदम पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया है।
SIR क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
विशेष गहन संशोधन (SIR) एक प्रक्रिया है जिसके तहत निर्वाचन आयोग मतदाता सूची को अपडेट और शुद्ध करता है। इसका उद्देश्य मृत, स्थानांतरित, या डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम हटाकर सूची को सटीक बनाना है। बिहार में SIR की प्रक्रिया जून 2025 में शुरू हुई थी और 1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की गई। इस प्रक्रिया में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिसके बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने बड़े पैमाने पर मतदाता अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
14 अगस्त 2025 को, सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वह हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची और उनके नाम हटाने के कारणों को जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर अपलोड करे। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि यह सूची पंचायत भवनों, ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिस, और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित की जाए ताकि मतदाता आसानी से अपनी स्थिति जांच सकें। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को 19 अगस्त 2025 की शाम 5 बजे तक पूरा करने का आदेश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने इस दौरान पारदर्शिता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यदि 22 लाख लोग मृत घोषित किए गए हैं, तो उनकी सूची बूथ स्तर पर क्यों नहीं सार्वजनिक की गई? इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और गलत धारणाएं खत्म होंगी।”
EC की कार्रवाई: सूची का प्रकाशन
निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए 56 घंटों के भीतर हटाए गए मतदाताओं की सूची को जिला मजिस्ट्रेट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “हमने कोर्ट के निर्देश के अनुसार सभी 65 लाख हटाए गए मतदाताओं के नाम और उनके गैर-समावेश के कारणों को सार्वजनिक कर दिया है।” यह सूची EPIC नंबर के माध्यम से खोजने योग्य है, जिससे मतदाता आसानी से अपनी स्थिति जांच सकते हैं।
सूची में हटाए गए मतदाताओं के नाम हटाने के कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- मृत्यु: 22.34 लाख मतदाता।
- स्थायी स्थानांतरण: 36.28 लाख मतदाता।
- डुप्लिकेट पंजीकरण: 7.01 लाख मतदाता।
- अन्य कारण: गलत पते, गैर-पहचान योग्य मतदाता, आदि।
इसके अलावा, ECI ने यह भी सुनिश्चित किया कि यह जानकारी स्थानीय भाषाओं में समाचार पत्रों, दूरदर्शन, रेडियो, और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार की जाए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद
SIR प्रक्रिया को लेकर बिहार में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस छिड़ी हुई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने ECI पर आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया “BJP और NDA के इशारे पर” की जा रही है और इसका उद्देश्य गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों को मताधिकार से वंचित करना है।
वहीं, BJP और उनके सहयोगी दल जैसे जनता दल (यूनाइटेड) ने ECI का समर्थन करते हुए कहा कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है जो मतदाता सूची को शुद्ध करने के लिए आवश्यक है। उन्होंने विपक्ष पर “भ्रामक प्रचार” करने का आरोप लगाया।
मतदाताओं के लिए अगले कदम
ECI ने स्पष्ट किया है कि ड्राफ्ट मतदाता सूची में नाम हटाए जाने का मतलब अंतिम सूची से हटाना नहीं है। मतदाताओं के पास 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने का समय है। इस दौरान कोई भी व्यक्ति फॉर्म 6 जमा करके अपनी पात्रता साबित कर सकता है। इसके अलावा, अंतिम नामांकन तिथि तक नए मतदाताओं का पंजीकरण भी संभव है।
ECI ने यह भी कहा कि आधार कार्ड को पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएगा, जिससे हटाए गए मतदाताओं के लिए फिर से पंजीकरण आसान होगा।
बिहार चुनाव 2025 पर प्रभाव
बिहार में नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूची का यह संशोधन महत्वपूर्ण है। 65 लाख मतदाताओं का हटाया जाना, जो कि राज्य के कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं का 8.31% है, चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां मुकाबला कांटे का होता है, कम मतदान से कुछ दलों को फायदा हो सकता है।
विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया विशेष रूप से गरीब, प्रवासी, और अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बना रही है, जो उनकी हार का कारण बन सकता है। दूसरी ओर, ECI का कहना है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और संवैधानिक है।

निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और ECI की त्वरित कार्रवाई ने बिहार SIR विवाद में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची का प्रकाशन और उनके नाम हटाने के कारणों का खुलासा न केवल मतदाताओं का भरोसा बढ़ाएगा बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा।
हालांकि, यह विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। 22 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होगी, जिसमें इस मामले की और गहराई से जांच की जाएगी। तब तक, मतदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपनी स्थिति की जांच करें और आवश्यकता पड़ने पर दावे दर्ज करें ताकि उनका मताधिकार सुरक्षित रहे।
अपना मतदाता स्थिति जांचें: जिला निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर जाएं या अपने नजदीकी पंचायत कार्यालय में सूची देखें।