भारत का बड़ा कदम: सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी

भारत का बड़ा कदम: सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी,क्या है सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट,क्यों हुई थी 40 साल की देरी,चिनाब नदी: भारत-पाक के बीच जलसंधि का हिस्सा,भारत की जलनीति में बदलाव

भारत ने 40 साल की लंबी प्रतीक्षा के बाद चिनाब नदी पर स्थित सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। यह ऐलान रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब भारत-पाकिस्तान जल विवाद एक बार फिर चर्चा में है।

क्या है सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट?

सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर प्रस्तावित एक 1856 मेगावाट क्षमता वाला जलविद्युत परियोजना है। यह प्रोजेक्ट 4800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया जाएगा। इसके निर्माण से न केवल भारत की ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

क्यों हुई थी 40 साल की देरी?

  1. 1980 के दशक में यह प्रोजेक्ट पहली बार प्रस्तावित किया गया था।
  1. राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक बाधाएं और पाकिस्तान के विरोध के चलते यह ठंडे बस्ते में चला गया।
  1. अब केंद्र सरकार ने इस पर दोबारा काम शुरू करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
भारत का बड़ा कदम: सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी

चिनाब नदी: भारत-पाक के बीच जलसंधि का हिस्सा

चिनाब नदी 1960 की सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को आवंटित नदियों में शामिल है। लेकिन संधि के मुताबिक भारत को इन नदियों पर ‘रन ऑफ द रिवर’ प्रोजेक्ट बनाने की अनुमति है, बशर्ते पानी की धारा में बाधा न हो।

भारत ने इस प्रोजेक्ट को उन्हीं शर्तों के तहत विकसित करने की योजना बनाई है, जिससे संधि का उल्लंघन न हो, लेकिन अपनी जलशक्ति का पूरा उपयोग किया जा सके।

भारत की जलनीति में बदलाव

हाइड्रो पावर उत्पादन बढ़े

बॉर्डर इलाकों का विकास हो

और आत्मनिर्भर ऊर्जा नीति को बल मिले

भारत का बड़ा कदम: सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी

सावलकोट हाइड्रो प्रोजेक्ट की वापसी भारत की रणनीतिक और ऊर्जा नीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकती है। चिनाब पर इस परियोजना की शुरुआत जहां देश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करेगी, वहीं यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संदेश भी है – कि भारत अब अपने हिस्से के पानी का पूरा उपयोग करेगा।

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